सच के छुटे पसीने…
झूठ के क्या कहने…
ना मेहनत…ना लगन…
फिर भी बने नंबर वन…
ईमान मोहब्बत प्यार वफ़ा…
लेकिन अक्सर झूठ ही बिकता यहाँ…
झोल है झमेला है…झूठ के संग भीड़ का मेला है ..
सच्चा इंसान हर वक़्त अकेला है…
आज के दौर में झूठ की है वाह वाह…
सच्चा होना मानो है इक गुनाह…
झूठ फरेब करके बनाये झूठी शान…
सच के आगे धौंस जमाये समझे खुदको महान…
ये है खासतौर पे झूठे लोगों की पहचान.. इसलिए झोल है झमेला है…
झूठ के संग भीड़ का मेला है …
सच्चा इंसान हर वक़्त अकेला है…
सच्चा इंसान हर वक़्त अकेला है…
सच्चा इंसान हर वक़्त अकेला है…
अनीश मिर्ज़ा