मुश्किलों का होगा सफ़र…
आएगा अपना ना कोई नज़र…
तू तन्हा चल बस चलता चल…
मंज़िल पर पहुंच कर ही ठहर…
ना डगमगा चाहे जैसी हो डगर…
तू तन्हा चल बस चलता चल…
कुछ जलेंगे तुझसे….
कुछ होंगे फ़िदा…
कुछ सुनाएंगे खरी-खोटी..
कुछ देंगे दगा…

तू तन्हा चल बस चलता चल…
जब होगा तू शिखर पर…

दुश्मन भी कहेंगे अपना रहबर…
ना दे ज़ोर दिल पर…
कर मेहनत होगा सुनेहरा कल…
तू तन्हा चल बस चलता चल…
तू तन्हा चल बस चलता चल…
तू तन्हा चल बस चलता चल…
अनीश मिर्ज़ा