किसी को पाना मुश्किल नहीं..
किसी को मिल जाना मुमकिन नहीं…
किसी के दिल में जगह बनाना हुनर नहीं…
किसी को पा के फिर बिछड़ जाना ज़रूरी नहीं…
किसी को हासिल करके भी मुकम्मल नहीं…
ये उल्फत की राहें.. अजीब हैं…
हम जिसे भी चाहें वो… रकीब है…
ये उल्फत की राहें.. अजीब हैं…
हम जिसे भी चाहें वो… रकीब है…
ये मुमकिन नहीं…ये मुमकिन नहीं है…
ये उल्फत की राहें अजीब है…
रूह में भी अरमान अब नए हैं…
फिर क्यूँ मौसम प्यार के खो गए हैं…
जिसकी भी चाहत की के अब वो हमारे हो गए हैं…
फिर क्यूँ एक पल में वो सब दूर जा रहें हैं…
हम बदले तो नहीं हैं…
हाँ अंदाज़ भी पुराना है…
कुछ बदला ज़रूर ज़माना है…
अब तो मतलब से ही प्यार जताना है…
अनीश मिर्ज़ा