ऊपर आकाश….नीचे मै आज़ाद हूँ या नहीं….
बदलो के पास उड़ता एक जहाज़…नीचे मैं आज़ाद हूँ या नहीं……
मन करे की आसमान को छू लूं…….
जिसे चाहा है उसे पा लूं……
पर ऐसा मुमकिन कहाँ……
चाहते अधूरी इस जहाँ……
अब तक था यहाँ……..

मैं कल कहाँ……….
सूना सूना लगे ये जहाँ….
महफ़िलो में भी हूँ तन्हा…..
यारी थी पुरानी अब कहाँ…….अब तो दोस्ती है वो पैसा जहाँ……….

ऊपर आकाश….नीचे मै आज़ाद हूँ या नहीं….
बदलो के पास उड़ता एक जहाज़…नीचे मैं आज़ाद हूँ या नहीं……
अनीश मिर्ज़ा