पलकों पे ख्व़ाब सुनहरे…
कुछ अच्छे कुछ मीठे गहरे…
कुछ दूर तलक ठहरे ठहरे…
इन ख़्वाबों में कहां लगे पहरे…
आज़ाद ये ख़्वाब सोच से परे…
कुछ हैं अजीब कुछ हैं खरे खरे…
इस सदी में ये क्या हो गया है…
डिजिटल युग में हर इंसान खो गया है…

पहले ख्व़ाब भी ख्व़ाब ही हुआ करते थे…
अब ख्व़ाब भी डिजिटल होने लगे हैं…
कभी सेल्फी लेते ख्व़ाब देखे..
कभी PUBG के ख्व़ाब आये…
कभी ख़्वाबों में कोई विडियो कॉल कर जाये…
तो कभी ONLine SHoPPing करके ख्व़ाब देख जाये…
इस डिजिटल युग में हर इंसान डिजिटल हो गया…
हक़ीकत की दुनिया थी अब हर काम ख़्वाबों में भी हो गया…
हक़ीकत की दुनिया थी अब हर काम ख़्वाबों में भी हो गया..
हक़ीकत की दुनिया थी अब हर काम ख़्वाबों में भी हो गया..
अनीश मिर्ज़ा