बुरा वक़्त जब आता है… तो क्या क्या दिखलाता है…
झूठ भी सच बन जाता है… बस दिखावा रह जाता है…
हर काम के पीछे इक फ़रेब है…
बिना मतलब के कुछ ऐब है…
ऐसे माहौल में कुछ ज्ञानी-दानी उभर के आते हैं…
जो बस सिर्फ नाम कमाना चाहते हैं…
ग़ुरबत का मज़ाक बनाना चाहते हैं…
इनके लिए बिना फोटो के किसी की मदद करना पाप है…
जहाँ कैमरा नज़र आये वहीँ मदद के लिए उठते हाथ हैं…

कुछ को इसमें शौहरत भी मिली है…
पर ये शौहरत असल में फ़ीकी है…
किसी की मजबूरी इसमें छिपी है…

जो अधूरी आस पे टिकी है…
उस आस को बर्बाद ना करो…
जहाँ ज़रूरत है वहां दान तो करो…
लेकिन सिर्फ शौहरत के लिए दान मत करो…
लेकिन सिर्फ शौहरत के लिए दान मत करो…
लेकिन सिर्फ शौहरत के लिए दान मत करो…
अनीश मिर्ज़ा