Bhaijaan ka gyaan: देश के महान वैज्ञानिक, अभियंता, शिक्षक और भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें राष्ट्रपति मरहूम अवुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम मसऊदी अपनी विद्वता, वैज्ञानिक दृष्टि, दूरदर्शिता, लेखकीय क्षमता और मृदु स्वभाव के कारण देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में से एक थे. उन्होंने 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम की माटी में जन्म लिया.बचपन में अखबार बांटने वाला वही बच्चा अपने जीवन में ऐसी ऊंचाई छू लेता है कि वो एक दिन दुनिया के समस्त अखबारों की सुर्खियां बटोरता नज़र आता है.
बचपन में उनकी नन्ही तेजस्वी आंखों ने जो स्वप्न देखा, वह निरंतर बड़े से और बड़ा होते हुए इतना बड़ा हो गया कि सारा भारत विकसित राष्ट्रों की प्रथम पंक्ति में अपने दम पर स्वयं को खड़ा देखने लगा और वे उसे साकार करने में न केवल स्वयं जुटे, बल्कि उन्होंने बच्चों और युवा होते तरुणों की करोड़ों आंखों में वह स्वप्न बांट दिया.
‘तेजस्वी मन’ और ‘अग्नि की उड़ान’ केवल उनकी किताबों के नाम नहीं हैं, बल्कि यह तो डॉ. कलाम के ही दूसरे नाम हैं, क्योंकि वे केवल लेखक ही नहीं, सर्जक भी थे. रक्षा वैज्ञानिक के रूप में रक्षक भी थे और शिक्षा मनीषी के रूप में शिक्षक भी. उनके अंदर एक महामानव बसता था.
वे गीता को पढ़ते ही नहीं, जीते भी थे. उनके मस्तिष्क में विज्ञान था तो हृदय में कला उनमें सदैव एक सच्चे मानव को गढ़ते रहती थी. राष्ट्रभक्ति उनकी रगों में रक्त बनकर बसी थी. अपने चिंतन से वे भावी पीढ़ी को स्वप्न दे गए तो वर्तमान पीढ़ी को अभय.
मिसाइल मैन और शिक्षक का विशाल जीवन
इस ‘मिसाइलमैन’ को भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’, ‘पद्मिविभूषण’ और ‘भारतरत्न’ देकर इन सम्मानों की ही गरिमा बढ़ाई.वे कहते थे – ‘मैं शिक्षक हूं और इसी रूप में पहचाना जाना चाहता हूं और सचमुच अपनी अंतिम श्वास लेते समय वे विद्यार्थियों के बीच ही तो थे एक शिक्षक के रूप में.
वे हमारी आंखों में आंसू नहीं, स्वप्न देखना चाहते थे. वे कहा करते थे – ‘सपने वे नहीं होते जो सोते वक्त आते हैं, बल्कि सपने तो वे होते हैं जो कभी सोने ही नहीं देते. युवाओं के बूते देश में नई क्रांति लाने का उनका यह ध्येय नवीन भारत की आधारशिला थी.
सचमुच डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसा व्यक्तित्व का इस धरती पर जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है. एक बार डॉ. कलाम जब स्कूल के बच्चों को लेक्चर दे रहे थे तभी बिजली में कुछ गड़बड़ी हो गई.डॉ. कलाम उठे और सीधा बच्चों के बीच चले गए और उन्हें घेरकर खड़े हो जाने के लिए कहा.
इस तरह से उन्होंने लगभग चार सौ बच्चों के साथ बिना माइक के संवाद किया. राष्ट्रपति बनने के कुछ दिन बाद वो किसी इवेंट में शरीक होने केरल राजभवन त्रिवेंद्रम गए.उनके पास अपनी तरफ से किन्हीं दो लोगों को बुलाने का अधिकार था, और आप जानकर हैरान होंगे कि उन्होंने किसे बुलाया – एक मोची को और एक छोटे से होटल के मालिक को.
दरअसल, डॉ. कलाम बतौर वैज्ञानिक काफी समय त्रिवेंद्रम में रहे थे, और तभी से वे इन लोगों को जानते थे, और किसी नेता या सेलेब्रिटी की बजाए उन्होंने आम लोगों को महत्व दिया.
युवा पीढ़ी को सराहते थे कलाम
कलाम का मानना था कि युवा पीढ़ी ही देश की असली पूंजी है. अत: वे युवाओं के बूते देश को विकसित बनाने के प्रति संकल्पित थे. उन्होंने देश को विकसित बनाने के सपने को साकार करने के लिए कई जरूरी चीजों के बारे में इंडिया विजन 2020 के नाम से डॉक्यूमेंट में जानकारी दी थी. बाद में उन्होंने इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम नाम से इस पर किताब भी लिखी.
कलाम ने 2020 तक भारत को विकसित बनाने के लिए जिन पांच अहम बातों पर जोर दिया था उनमें कृषि और फूड प्रोसेसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य, इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी और शिक्षा के क्षेत्र में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के साथ ही न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का विकास शामिल था.
वे देश में खेती और फूड प्रोसेसिंग का उत्पादन दोगुना करने, विद्युतीकरण को गांवों तक ले जाने और सोलर पावर को बढ़ाने, अशिक्षा को खत्म करने, सामाजिक सुरक्षा और लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध कराने, टेलीकम्युनिकेशन और टेलीमेडिसिन जैसी टेक्नॉलजीज को बढ़ावा देने को भारत के विकसित बनने के लिए अनिवार्य मानते थे.
आज सरकार को इन पांचों बातों पर काम करने की जरूरत है. यह न केवल कलाम के स्वप्न को साकार करने के लिए जरूरी है, बल्कि देश के नागरिकों को एक समृद्ध व खुशहाल जीवन उपलब्ध कराने के लिए भी आवश्यक है.
यह बेहद चिंताजनक है कि कलाम के भरोसे वाली युवा पीढ़ी देश के विकास में अपना योगदान देने के बजाय भटकाव की ओर अग्रसर हो रही है, इसलिए युवा उर्जा के संतुलित उपयोग का विषय सरकार की चिंताओं में अग्रणी होना चाहिए. यदि हम समय रहते हैं युवा शक्ति का सार्थक उपयोग विज्ञान, अनुसंधान और तकनीक के क्षेत्र में करने में सफल हो जाते हैं तो भारत को विकसित होने से कोई रोक नहीं सकता।