मेरी कहानी भाईजान की ज़ुबानी में आज की कहानी इस बात को सिखलाएगी कि कैसे हमारा दिमाग हमारी सोच का गुलाम है. ये कहानी हमें इबरार मिर्ज़ा ने भेजी है जो उनकी सच्ची आपबीती घटना पर आधारित है. तो चलिए बताते है आपको उनकी ये सच्ची कहानी….
इबरार मिर्ज़ा हिमाचल पुलिस महकमे के जाबाज़ और साहसी मुलाज़िम हैं. उन्होंने Special Commando Course भी किया है.
दिसंबर के दिनों की बात है कड़ाके की सर्दी का आलम था. जब इबरार अपने ड्यूटी के काम से शिमला के लिए रात की बस से अपने शहर से निकलते हैं. उस रात जमाने वाली सर्दी पड़ रही थी. बहरहाल बस का सफ़र शुरू होता है. जैसे जैसे बस अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रही होती है वैसे वैसे तापमान में गिरावट आ रही होती है. इबरार को भी सर्दी का एहसास हो रहा होता है. सभी सवारियां अपने साथ लाए चादर कंबल को ओढ़ कर सोने की जुस्तजू में लगे होते हैं. लेकिन सर्दी इतनी थी के लोग चादर कंबल में भी ठिठुरने को मजबूर होते हैं.
इसी बीच इबरार सभी लोगों से हट कर अपने दिमाग को मानो ये आर्डर दे रहा हो कि मुझे सर्दी नहीं लग रही है. दरासल सर्दी होते हुए भी इबरार सर्दी को अपने उपर हावी नहीं होने दे रहा था. या यूँ कहें कि वो अपनी कोई Commando Course की technique इस्तेमाल कर रहे हों. जिसमें उन्हें हर हाल में survive करने के गुर सिखाए जाते हैं. वो अपने दिमाग से इतनी भयंकर सर्दी को बिलकुल भी महसूस नहीं होने दे रहे थे. भले कड़क सर्दी का आलम बरप रहा था.

फिर रात के अंधेरे में बस का ड्राईवर चाय पीने के लिए बस रोकता है. यहाँ बस 10 से 15 मिनट रुकेगी जिसने चाय पीनी है पी लो ऐसा ड्राईवर ने कहा… इबरार भी बस से बाहर निकलता है… तभी सामने ढाबे के लोगों ने आग जलाई होती है. सभी सवारियां आग सेकने के लिए चली जाती हैं. लेकिन इबरार ठंड लगने के बावजूद अपने कदमों को रोक देता है. वो कहता है के अगर अभी आग सेकी तो रास्ते में और ज्यादा ठण्ड लगेगी वो दूर से ही नज़रों से आग सेकने लगता है.

जैसे ही बस चलती है इबरार को छोड़ कर सभी सवारियां कंबल ओढ़ने के बावजूद ठिठुर रही होती हैं. जबकि इबरार का आग ना सेक कर सही फैसला साबित होता है और वो बिना कंबल के बाकियों से कम सर्दी महसूस कर रहा होता है. ऐसा इबरार ने अपने दिमाग को नियंत्रिक करके संभव किया. उन्होंने उस चीज़ पर ध्यान ना देकर अपनी सोच को divert कर दिया. ऐसा कोई भी कर सकता है अगर हम अपने दिमाग को एक जगह फोकस करें तो कई तरह के दर्द और तकलीफों को पॉजिटिव attitude से खत्म कर सकते हैं. जो हमें इस कहानी से सिखने को मिलता है. तो ये थी आज की मेरी कहानी भाईजान की ज़ुबानी अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी हो तो पोस्ट के नीचे like का button Press करें और कमेंट करके अपने सुझाव भी दें. साथ ही अगर आप भी अपनी कोई सच्ची कहानी या कहानी से जुड़ा आईडिया शेयर करना चाहते हैं तो इस number 9805554298 पर call और whats app करें. आपका #Bhaijaan