मेरी कहानी भाईजान की ज़ुबानी में इस बार हम आपको ऐसी सच्ची कहानी बताएंगे जो दिल को छू लेगी. ये कहानी मोहम्मद अली की सच्ची घटना पर आधारित है. जो ज़िन्दगी में रब के होने का एहसास दिलाती है. तो आइए बतलाते हैं ये कहानी…
बात उन दिनों की है जब मोहम्मद अली चण्डीगढ़ में Competitive Exam की तैयारी कर रहा था. इसी सिलसिले में डिमांड ड्राफ्ट बनाने के लिए अली बैंक में गया था. उस दिन बैंक में भीड़ भी काफी थी. भीड़ होने की वजह से अली cash counter की लाइन में लगा हुआ था. जब अली की बारी आई तो उसने कैशियर से डिमांड ड्राफ्ट बनाने को कहा,” Sir एक डिमांड ड्राफ्ट बनाना. इस दौरान अली का डिमांड ड्राफ्ट तो बन जाता है लेकिन लेन-देन में कैशियर 50 रुपए गलती से ज्यादा वापिस कर देता है. पहले अली के ज़हन में ख़याल आता है कि मुझे ये रकम वापिस कर देनी चाहिए. लेकिन उसी पल दिमाग में ये चलता है कि यार छोटी रकम तो है 50 रुपए का नोट इससे कौन सा बैंक को घाटा होने वाला है और ये भी कैशियर की गलती है मेरी गलती थोड़ी है. ये सब उधेड़ बुन चलने के बाद आख़िरकार अली वो 50 रुपए का नोट जेब में डाल लेता है. जैसे ही वो बैंक से बाहर निकलता है तो मन में एक और कशमकश गोते लगाने लग पड़ती है. अली सोचता है कहीं मैंने गलत फैसला तो नहीं ले लिया कहीं ऐसा ना हो कि मुझे इसका तीन गुना ना भरना पड़े. कुछ ही दिनों में यह बात हकीकत में बदल गई. हुआ ऐसा की किसी दोस्त ने अली से उधार के तौर पर 150 रुपये मांगे और 1-2 दिन के बाद लौटाने का वादा किया. लेकिन अली का दोस्त ना कभी वापिस आया ना उसका वो उधार का पैसा कभी मिला. उसी वक़्त अली के दिमाग में वो बैंक की घटना याद आ गई. उसे लगा के ये सब उसी फैसले का नतीजा है. उसने तभी रब से सच्ची माफ़ी मांगी और ये एहद किया चाहे कुछ भी हो जाए ज़िंदगी के हर मौके पर किसी का हिस्सा नहीं मारूंगा और इमानदारी से सारा लेन-देन करूंगा. तब से लेकर आज तक अली इसी नियम को मज़बूती से पकड़े हुए हैं और सच्चाई की राह पर निरंतर चल रहे हैं. तो ये थी हमारी आज की मेरी कहानी भाईजान की ज़बानी अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी हो तो like और comment करें और कहानी के बारे में अपने विचार भी व्यक्त करें. आपका #Bhaijaan
