नए साल की नई सुबह में आओ नई सोच लाएं…
जो थी ग़लत आदतें उनको पुराने साल में दफ़न कर आएं…
आओ नए साल में नई सोच लाई जाए…
ये नया साल सिर्फ कैलेंडर के बदलने तक मेहदूद ना रहे…
हर वो बुरा ख़याल बदलें जिससे अक्सर मनफी सोच रहे…
कुछ रूठों को मनाया जाये… कुछ ख़ता ना होते हुए भी अपनों से माफ़ी मांग कर रिश्तों की सेज सजाई जाये…
आओ नए साल में नई सोच लाई जाए…
यूं तो आफ़ताब, क़मर, ज़मीं और आसमां हैं वही…
आओ सोच और देखने के नज़रिए को नया मुसबत बनाया जाये..
नया साल सिर्फ एक दिन में ना रह कर हर दिन नई सोच नई उमंग में घुल कर इक सुनेहरा कल को सजाया जाए…
आओ नए साल में नई सोच लाई जाए…
आओ नए साल में नई सोच लाई जाए…
आओ नए साल में नई सोच लाई जाए…
अनीश मिर्ज़ा
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