मेरी कहानी भाईजान की ज़ुबानी में आज की कहानी एक सच्ची रहस्यमय घटना पर आधारित है. जो हमें संजीव ठाकुर ने भेजी है. तो आइये बताते हैं इनकी ये आपबीती कहानी.
ये बात 2006 की है जब संजीव ठाकुर गर्मियों की छुट्टियां बिताने अपने भाई सुनील के साथ नानी घर गया हुआ था. उसका चचेरा भाई शैलेंदर हर साल गर्मियों की छुट्टियों का इंतज़ार करता था ताकि वो अपने भाइयों के साथ खूब मस्ती कर सके. संजीव और सुनील के आते ही शैलेंदर ने पास के गांव में जंगल से फल तोड़ने का प्लान बनाया. जिससे मस्ती मस्ती की और पिकनिक की पिकनिक हो जाये.

वो तकरीबन सुबह 11:30 के करीब घर से जंगल की ओर निकलते हैं और दिन के 12:30 के करीब वहां पहुंचते हैं. उस जंगल के साथ ही एक पुराना veterinary hospital था जो काफी समय से बंद पड़ा था. गांव के अक्सर लोग इस जगह पे जाने से परहेज़ करते थे. यहाँ तक की कुछ लोगों के साथ यहां कई अजीब घटनाएं हो चुकी थी.लिहाज़ा संजीव, सुनील और शैलेंदर भी यहां पहली बार ही आये थे और वो इन सब बातों से अनजान थे.खैर वहां पहुंचते ही सभी फल तोड़ने में मशगूल हो गए.
इस बीच संजीव भी फल तोड़ते तोड़ते पहाड़ों के सीढ़ीदार खेतों को लांघता हुआ सड़क से काफी नीचे तक चला गया . जैसे ही संजीव फल तोड़ कर जंगल की झाड़ियों से होता हुआ उपर रास्ते के तीखे मोड़ तक चलता है तो उसे अचानक पीछे से अपने चचेरे भाई शैलेंद्रे की आवाज़ सुनाई देती है… संजीव… संजीव…. संजीव अपने भाई की आवाज़ सुन कर वापिस नीचे को चलता है. उसने अभी कुछ ही खेत पार किये होते हैं के उसे उपर सड़क से सुनील और शैलेंदर की आवाजें आती है. संजीव तुम कहाँ हो हम उपर सड़क पे हैं जल्दी आओ. ये सुन कर संजीव थोड़ा confuse हो जाता है. वो कहता है अगर ये लोग उपर सड़क पर हैं तो नीचे कौन आवाज़ दे रहा है. वो ज़यादा ना सोचते हुए जल्दी से उपर सड़क को चला जाता है और सुनील और शैलेंदर को वहां पा कर हैरान हो जाता है.
वो ये सारा माजरा उन दोनों को बताता है. वो दोनों उस का मज़ाक उड़ाने लगते है. अरे तू पागल तो नहीं हो गया. मैं और सुनील कबसे सड़क के उपर तेरा इंतज़ार कर रहे हैं और तुझे मेरी आवाज़ नीचे सुनाई दे रही है. संजीव कहता है यार मैं सच कह रहा हूँ मुझे हुबहू तुम जैसी आवाज़ नीचे जंगल में सुनाई दी.
फिर शैलेंदर कहता है यार संजीव ऐसा ही वाक्या किसी और के साथ भी सुना था मैंने और हमने उसका भी मज़ाक बनाया था. कुछ लोग कहते हैं यहां किसी का accident भी हुआ था. तब से यहां ऐसी घटनाएं काफी सुनने को मिली हैं. ऐसा सब कह कर वो अपने घरों को चले जाते हैं और ये बात आज तक रहस्य बनी हुयी है कि के वो आवाज़ किसकी थी…

तो ये थी हमारी आज की मेरी कहानी भाईजान की ज़ुबानी. अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी हो तो Like करें और Comment करके अपने विचार सांझा करें.. सदा मौज में रहें आपका #MirzaBhaijaan