वक्त का है अब ये कहना…
रूह-ए-ज़मीन में मुश्किल हुआ जीना…
गर वबा-ए-कोरोना से चाहते हो बचना…
तो अब सीख लो लोगों से दूर रहना…
अब मेहफिल जलसों से परहेज़ करना…
ना किसी से हाथ मिलाना…
ना किसी को गले लगाना…
अब तो यूं ही गुज़रेगा ज़िंदगी का ये अफ़साना…
तो अब सीख लो लोगों से दूर रहना…
इसमें ही है फायदा अपना…
अपनों से भी दूरी अपनाना…
इलाज से बहतर है एहतियात करना…
चाहे लाख बुरा कहे ज़माना…
इस दौर में सबको यही बात समझना…
तो अब सीख लो लोगों से दूर रहना…
तो अब सीख लो लोगों से दूर रहना…
तो अब सीख लो लोगों से दूर रहना…
अनीश मिर्ज़ा